Shattila Ekadashi 2025 Date: षटतिला एकादशी कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है, और प्रत्येक महीने में दो एकादशी तिथियां आती हैं। माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, तिल का दान और उपयोग भी इस दिन का मुख्य आकर्षण है।

Shattila Ekadashi 2025 Date: षटतिला एकादशी कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

षटतिला एकादशी 2025 तिथि और मुहूर्त

इस वर्ष षटतिला एकादशी निम्नलिखित समय पर पड़ेगी:

घटना तिथि और समय
एकादशी तिथि प्रारंभ 24 जनवरी 2025, शाम 7:25 बजे
एकादशी तिथि समाप्त 25 जनवरी 2025, रात 8:31 बजे
व्रत पारण का समय 26 जनवरी 2025, सुबह 7:21 से 9:34 तक
द्वादशी समाप्ति समय 26 जनवरी 2025, रात 8:54 बजे

इन समयों के अनुसार, व्रत की सभी विधियां संपन्न करनी चाहिए।

षटतिला एकादशी की पूजा विधि

षटतिला एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन करें:

  1. प्रात:काल स्नान
    सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करें। इस दौरान तिल के जल का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
  2. पूजा सामग्री की तैयारी
    भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। उन्हें फूल, धूप, दीप, चंदन, और तुलसी दल अर्पित करें।
  3. व्रत का संकल्प
    विष्णु भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें। दिनभर फलाहार करें और अन्न से परहेज करें।
  4. रात्रि जागरण
    व्रत के दौरान रात को भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और जागरण करें।
  5. द्वादशी के दिन व्रत पारण
    अगले दिन प्रात: स्नान के बाद पुनः भगवान विष्णु की पूजा करें। भोजन में तिल से बने व्यंजन तैयार करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद ही स्वयं अन्न ग्रहण करें।

षटतिला एकादशी पर तिल का महत्व

षटतिला एकादशी पर तिल का उपयोग अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है। इस दिन तिल को छह अलग-अलग तरीकों से प्रयोग करने की परंपरा है:

  1. तिल के जल से स्नान करना
    तिल के जल से स्नान करने से शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है।
  2. पिसे हुए तिल का उबटन लगाना
    तिल का उबटन शरीर पर लगाने से ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है।
  3. तिल का हवन करना
    तिलों का उपयोग हवन सामग्री में करने से वातावरण शुद्ध होता है।
  4. तिल मिश्रित जल पीना
    तिल मिला हुआ जल पीने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
  5. तिल का दान करना
    गरीबों और जरूरतमंदों को तिल दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  6. तिल से बने व्यंजन बनाना
    तिल के लड्डू, खीर, और अन्य व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाएं।

इन सभी तरीकों से तिल का प्रयोग करने से न केवल व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है, बल्कि स्वर्गलोक की प्राप्ति भी होती है।

षटतिला एकादशी का आध्यात्मिक महत्व

यह व्रत न केवल आत्मा की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में अनुशासन, भक्ति, और परोपकार के मूल्य सिखाता है। तिल का उपयोग केवल शारीरिक लाभ ही नहीं देता, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है।

निष्कर्ष

षटतिला एकादशी आत्मा और शरीर की शुद्धि के लिए एक अनमोल अवसर है। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर करने के लिए इस दिन का सही तरीके से पालन करें। तिल के महत्व को समझते हुए इसे अपने जीवन में शामिल करें और शुभ फल प्राप्त करें।

FAQs: षटतिला एकादशी से जुड़े सामान्य प्रश्न

  1. षटतिला एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए?
    इस दिन झूठ बोलने, निंदा करने, और क्रोध करने से बचें। व्रत का पूरा पालन करें।
  2. क्या बच्चे और बुजुर्ग व्रत रख सकते हैं?
    बच्चे और बुजुर्ग फलाहार व्रत कर सकते हैं। पूर्ण उपवास करना आवश्यक नहीं है।
  3. तिल का महत्व क्यों है?
    तिल को पवित्र और ऊर्जा का स्रोत माना गया है। यह शुद्धि और स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है।
  4. क्या व्रत में केवल तिल से बने भोजन खा सकते हैं?
    व्रत के दौरान फल, दूध, और तिल से बने विशेष व्यंजन ग्रहण कर सकते हैं।
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