महाकुंभ 2025: आईआईटीयन बाबा की कहानी – परिवार के सपनों को छोड़ अभय ने चुना साधु जीवन

हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गांव से ताल्लुक रखने वाले अभय सिंह, जो बंबई आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं, महाकुंभ 2025 में बाबा के रूप में दिखे तो हर कोई हैरान रह गया। उनके बाबा बनने की कहानी सोशल मीडिया और मीडिया के लिए चर्चा का विषय बन गई है। पिता करण सिंह ग्रेवाल, जो एक वकील हैं और झज्जर बार एसोसिएशन के प्रधान रह चुके हैं, अपने बेटे के इस फैसले से नाखुश हैं।

अभय के पिता का कहना है कि उनका बेटा बचपन से ही होनहार था। उसने आईआईटी में शानदार रैंक हासिल कर मुंबई आईआईटी में प्रवेश लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे कनाडा में नौकरी मिल गई, जहां उसका पैकेज 36 लाख रुपये सालाना था।

महाकुंभ 2025: आईआईटीयन बाबा की कहानी – परिवार के सपनों को छोड़ अभय ने चुना साधु जीवन

कनाडा से लौटने के बाद बदला जीवन का रास्ता

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अभय ने कनाडा में करीब एक साल तक नौकरी की, लेकिन फिर अचानक नौकरी छोड़ दी और भारत लौट आए। उनके परिवार ने उनकी शादी की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन उसी दौरान अभय ने घर छोड़ दिया। कुछ समय तक वह एक रिश्तेदार के घर रहे और फिर अचानक साधु जीवन की ओर आकर्षित हो गए।

अभय के पिता ने बताया कि जब वह कनाडा से लौटे थे, तब वह बिल्कुल सामान्य लग रहे थे। उनके बाल और दाढ़ी कटे हुए थे और उनका व्यवहार भी पहले जैसा ही था। लेकिन धीरे-धीरे उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता गया।

परिवार की चिंता और बेटे से संपर्क का अभाव

अभय के बाबा बनने की खबर ने उनके परिवार को झकझोर दिया। उनके पिता का कहना है कि छह महीने से उनकी अभय से कोई बातचीत नहीं हुई है। उनकी बहन मनजीत कौर, जो कनाडा में रहती हैं, भी इस बदलाव से स्तब्ध हैं।

परिवार का कहना है कि अभय ने घर छोड़ने से पहले नेचुरल पैथी चिकित्सा पद्धति के बारे में जानकारी ली थी। उस दौरान डॉक्टरों ने उन्हें अध्यात्म और साधु समाज के बारे में बताया, जो शायद उनके जीवन में बदलाव का कारण बना।

महाकुंभ में बाबा के रूप में पहचान

महाकुंभ 2025 के दौरान अभय सिंह को बाबा के वेश में देखकर लोगों में उनकी चर्चा बढ़ गई। उनके पिता ने बताया कि उज्जैन के कुंभ मेले में भी अभय ने भाग लिया था। इस बार उनके बाबा बनने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके जरिए परिवार को उनकी जानकारी मिली।

परिवार की भावनाएं और उम्मीदें

अभय के पिता करण सिंह ग्रेवाल चाहते हैं कि उनका बेटा घर लौट आए और अपने पुराने जीवन में वापस आ जाए। परिवार को यह समझना मुश्किल हो रहा है कि इतना होनहार बेटा, जिसने आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्था से पढ़ाई की और विदेश में अच्छा करियर बनाया, साधु बनने का फैसला कैसे कर सकता है।

समाज और मीडिया की प्रतिक्रिया

अभय के बाबा बनने की कहानी ने लोगों का ध्यान खींचा है। कुछ लोग इसे आध्यात्मिक जागृति का नाम दे रहे हैं, तो कुछ इसे करियर और परिवार की जिम्मेदारियों से पलायन मान रहे हैं।

यह घटना उन तमाम सवालों को जन्म देती है जो आधुनिक जीवन, आध्यात्मिकता और व्यक्तिगत पसंद-नापसंद के बीच संतुलन को लेकर हैं। हालांकि, परिवार अभी भी अभय की वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है।

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